अमर शहीद राजाराम मेघवाल (राजिया )
शेर नर राजाराम मेघवाल भी जोधपुर नरेशो के हित के लिए बलिदान हो गए थे !मोर की पुंछ के आकर !वाले जोधपुर किले की नीव जब सिंध के ब्राह्मण ज्योतिषी गनपत ने राव जोधाजी के हाथ से वि ० स० 1516 में रखवाई गई तब उस नीव में मेघवंशी राजाराम जेठ सुदी 11 शनिवार (इ ० सन 1459 दिनाक 12 मई ) को जीवित चुने गए क्यों की राजपूतो में यह एक विश्वास चला आ रहा था की यदि किले की नीव में कोई जीवित पुरुष गाडा जाये तो वह किला उनके बनाने वालो के अधिकार में सदा अभय रहेगा !इसी विचार से किले की नीव में राजाराम (राजिया )गोत्र कडेला मेघवंशी को जीवित गाडा गया था ! उसके उअपर खजाना और नक्कार खाने की इमारते बनी हुई हैं ,इनके साथ गोरा बाई सती हुई थी !राजिया के सहर्ष किये हुए आत्म त्याग एवम स्वामी भक्ति की एवज में राव जोधाजी राठोड ने उनके वंशजो को जोधपुर किले पास सूरसागर में कुछ भूमि भी दी जो राज बाग के नाम से प्रसिद्ध हैं !और होली के त्यौहार पर मेघवालो की गेर को किले में गाजे बजे साथ जाने का अधिकार हैं जो अन्य किसी जाती को नही हैं !परन्तु उस वीर के आदर्श बलिदान के सामने यह रियायते कुछ भी नही हैं !
कंही -कंही राजिया और कालिया दो पुरुषो को नीव में जीवित गाड़े जाने का वर्तान्त भी लिखा मिलता हैं जो दोनों ही मेघवाल जाती के थे !
इस अपूर्व त्याग के कारण राज्य की और से प्रकाशित हुई कई हिंदी और अंग्रेजी पुस्तको में राजिया भाम्बी के नाम का उल्लेख श्रदा के साथ किया हैं !
आज से लगभग 135 वर्ष पहले इ ० सन 1874 (विक्रम संवत 1931 )में जोधपुर राज्य ने "THI JODHPUR FORT "नाम की अंग्रेजी पुस्तिका प्रकाशित की थी ,उनके पेज 1 पंक्ति 12 में अमर शहीद राजाराम मेघवंशी (भाम्बी )के आदर्श त्याग के विषय में यह लिखा हैं :-
-------------"its (Jodhpur )foundation was laid in 1459 A.D. when a man "bhambi rajiya "was interred alive in tha foundeto invoke good fortuneon its defenders and to ensurs its imprognabilityt "............"(vide "tha jodhpur for"page 1 line 12 frist edition ,1874 A.D.published by jodhpur state )
अर्थात ........इस किले (जोधपुर गढ़ ) की नीव इ ० सन 1459 (विक्रम संवत 1516 )में रखी थी तब एक राजिया भाम्बी (मेघवंशी)इस किले के स्थायित्व के लिए जीवित इसकी नीव में चुना गया )
वि ०स ० 1946 फाल्गुन सुदी 3 शनिवार( इ ०सन 1890 तारीख 22 फरवरी )को इंग्लेंड के ,राजकुमार प्रिंस एल्बर्ट विकटर ऑफ़ वेल्स ,भारत यात्रा करते जोधपुर तब स्टेट की और से "गाइड टु जोधपुर "(जोधपुर पथ प्रदर्शक )नाम की अंग्रेजी पुस्तक प्रकाशित हुई !उसके पृष्ठ 7 में राजाराम के लिए छपा :-............................ ...........
"......."tha fort (jodhpur)...............when tha foundation was laid ,aman rajiya bhambi by name ,was interred alive ,as an ausppicious omen,in a corner over which were built two apartments now occupied by tha treasury and tha nakar khana (country band) .in consideration of this sacrfice ,rao jodha bestowed a piece of land "raj bai bag"near sursagar,on tha desendants of tha deceased and exempted them from "begar"or forced lebour .........("vide guide to jodhpur 1890 A<D<page 7 published by tha order of H.H. tha maharaja jaswant singh G.C.S.I.,and maharaj dhiraj col .sir pratap singh K.C.S.I.&c. jodhpur on tha auspicious of tha visit his royal highness tha prince albert victor of wales. 1890 A.D. page 7)
अर्थात .................जब जोधपुर दुर्ग की नीव (इ ० सन 1459 में )रखी गई तब शुभ सगुन तथा उसके स्थायित्व के लिए राजिया भाम्बी नाम का पुरुष उसमे जिन्दा चुना गया !जन्हा पर खजाना और नक्कारखाना की इमारते बनी हुई हैं !इस क़ुरबानी के लिए राव जोधा ने उसके वंशधरो को कुछ भूमि सूरसागर (जोधपुर )के पास "राजबाग"नाम से इनायत की और उन्हें नि:शुल्क सेवा से बरी कर दिया !"
इ ० सन 1900 (वि ० स ० 1957 ) में राजपुताना के सर्जन लेफ्टिनेन्ट कर्नल डाक्टर एडम्स आई ० ऍम ० एस०; ऍम ० डी ० (इत्यादी)जोधपुर ने "दी वेस्टर्न राजपुताना स्टेट "नाम का अंग्रेजी में सचित्र इतिहास लन्दन में छाप कर पुन :प्रकाशित ! उसके पृष्ठ 81 में भी राजाराम के त्याग का उल्लेख हैं !
इस तरह से तत्कालीन जोधपुरस्टेट द्वारा प्रकाशित कई पुस्तको में राजाराम मेघवाल (राजिया)के बलिदान का उल्लेख मिलता हैं !
Bahut bahut dhanywad ji aapne
जवाब देंहटाएंVery nice article Regarding to
जवाब देंहटाएंMahi Cracks and go for Indian Tourism
Rajasthan Tourism
ग़जब आलिशान राजाराम जी हमें आप पर घर्व है
जवाब देंहटाएंइसको बलिदान नही कत्ल कहा जाना चाहिए । अगर इतना ही उचित था किसी की बलि देने तो राजा या उस ब्राह्मण पंडित ने अपने बेटे को क्यों नही चुनवाया किसी गरीब को चुनना बिल्कुल भी न्यायोचित नही है ।
जवाब देंहटाएंYe chalak,kapti or pakhandi brahamns ka Kiya dhra h.
हटाएंIsme vo andhviswasi raja bhi utne hi guhnegar h jitne vo pandit
Bilkul right
हटाएंसच्चाई लिखते के लिए कलम में थोड़ी ताकत लेकर आइए साहब ।
जवाब देंहटाएंWhatsApp7240149393
जवाब देंहटाएंRajaram ji amar rahe
जवाब देंहटाएंSalam ha veer ko
जवाब देंहटाएंHame naj hai hmare samaj pr or more respective person rajaram ji ka kadel
जवाब देंहटाएंhttps://www.amazon.in/dp/B07NRRHL8T/ref=cm_sw_r_cp_awdb_t1_fOlJCb0QN6RAK
जवाब देंहटाएंMeghwal veer jinhone duniya hila di----
जवाब देंहटाएंhttps://www.amazon.in/s?k=marusthal+me+goonjti&ref=nb_sb_noss
Salute hai veer rajaram kadela ji ko 🙏🙏🇮🇳🇮🇳
जवाब देंहटाएंशहीद राजा राम जी मेघवाल को शत शत नमन जय मेघ पूतना
जवाब देंहटाएंMy grandfather used to say rajiya bhambhi have 50 blackspot on his body. In the direction of astrologer king forcefully buried him in the foundation of fort along with kalia bhambhi . So sad an example of atrocity on lower/weak/marginalised community in the time of rajput reign.
जवाब देंहटाएंSalute to Shahid Rajaram Kadal
जवाब देंहटाएंKadal Nani karela hai
हटाएंAre Meghwal samaj banduwon Apne Aap ko jinda chunwana kisi napunsak ka kam nahi A kam sirf serni man ka dudh wa us man ke Anchal ki chaya me palne wala ek ser dil meghwal bhai hi kar sakta hen chal kapat se peda hone wale annya log nahi kar sakte
जवाब देंहटाएंRaja Ram ji Amar Rahe Jay bheem
जवाब देंहटाएंRaja Ram ji Amar Rahe Jay bheem
जवाब देंहटाएंJai ho
जवाब देंहटाएंवा वीर पुरुष शत शत नमन जय हो
जवाब देंहटाएंअमर शहीद को शत-शत नमन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंExcellent history,अमर शहीद को शत-शत नमन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंराजाराम जी बलिदान के लिए राजपूतों को आभार व्यक्त करना चाहिए की उनका किला एक मेगवाल पर टिक्का हुआ है
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