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मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

sant bijnatth sundha mata



महान मेघवल संत श्री बिजनाथजी महाराज 




संत मत वास्तव मे किसी भी समाज को विकास की रह पर लाने का का मुख्य स्तम्भ हिता हैं !संत ही समाज कोसही रास्ते पर लाकर सही दिशा दे सकते हैं !ऐसे ही महान संत श्री बीजनाथ महाराज का जन्म राजस्थान के दक्षणी भू भाग मे अवस्थित जलोरे जिले के अरावली पर्वत माला की गोद मे स्थित माँघनगरी भीनमाँलसे मात्र 7 किमी 0दूरी पर स्थित गाजीपुरा गाँव मे मेघवल जाती के परमार गोत्रीय श्री झुझाराम के घर पर एक होनहार बालक छोगारम का जन्म विक्रम संवत 2012 की माघ वदी 5 बुधवारको हुआ था !आपकी माता श्री का नाम मौतु बाई था !जो सोलंकी गोत्रीय थी जिंका पियर राजपुरा मे था !आप दो भाई थे बड़े भाई प्रताप भाई घर के कामकाज मे व खेतीबाड़ी मे पिताजी का हाथ बटाते थे !क़हतए हैं की पूत पूत के पग पालने मे ही दिखाई देते हैं ,उसी तरह आप भी अपने जन्म जात लक्षण माता-पिता को दिखाने लगे !बाल्यकल मे ही गाँव मे या आस-पड़ोस के गांवो मे होने वाले जुम्मा -जागरण मे परिवार को बिना बताए ही चले जाते थे !आप राम भजन मे मस्त रहते उधर घर वाले का खोज खोज कर बुरा हाल होता था !गाँव मे कोई साधू संत या सन्यासी के आ जाने उसकी संगत मे मस्त रहते थे !घर से स्कूल  भेजने पर कनही अन्यत्र जाकर राम नाम स्मरण मे मगन रहते थे !आपकी इस प्रकार की साधू प्रवती देख कर आपके माता -पिता को यह अहसास होने लगा की बालक छोगाराम वेराग्य की ओर जा रहा हैं आपस मे विचार कर चोगारम के विवाह का विचार कर मात्र 16 वर्ष की उम्र मे ही पास के गाँव दांतलावास गाँव के बाघेला गोत्रीय धीरारामजी की सुपुत्री सणगारी देवी के साथ पाणीग्रहण संस्कार कर दिया !सांसरिक जीवन मे आपके पाँच पुत्र रत्न हुये ,जिनके नाम भेरारम ,नटवरलाल,जबराराम ,गनेशाराम,क्रष्ण हैं !
कालांतर मे मे भी आपको राम स्मरण का मोह नहीं छूटा गृहस्थी के साथ प्रभु भक्ति की दोहरी भूमिका निभाते हुये आपने अन्नत सांसरिक जीवन का त्याग करने का विचार कर ई 0 सन 2001 मे आप बिना बताए घर छोड़कर तीर्थ यात्रा पर चले गए !आपने चार धाम की यात्रा की अंत मे अहमदाबाद गुजरात मे भेष गुरु नाथ संप्रदाय के श्री मंगलनाथजी महाराज (नाटेशरी पंथ )से गुरु दीक्षा ली !कुछ समय गुरु चरणों मे बिता कर एकांतवास मे मे रामस्मरण का मानस बनाकर सुन्धापहाड़ की कन्दराओ मे एकांतवस उययूकत मानकर वनहा पर सुन्धा मटा मंदिर के ऊपर लगभग 2 किलोमीटर ऊपर दीवागुड़ा नमक स्थान पर आसान लगाकर भक्ति मे लिन हो गए !वनहा पर आप श्री ने अपने अथक मेहनत से पहाड़ी की तहलटी से चुना पानी लेजाकर एक कमरे का निर्माण करवाया जो आपकी मेहनत का ही फल हैं !इस तरह तहलहटी आवागमन से आपके परिवार जन तक भी यह खबर पहुच गई की चोगारम सन्यासी हो गया है ,ओर सुन्धा पहाड़ पर तपस्या करते हैं ,परिवार जन भी उनको घर ले जाने  के लिए काफी अनुनय विनय किया ,लेकिन आपने वेरागी से मोह नहीं छोड़ा !!

वर्तमान मे आप सुन्धा माता सड़क पर राजपुरा गाँव से बाहर अपना आश्रम बनाकर रहते हैं ,जनहा पर विशाल शनिदेव मंदिर ओर बाबा रामदेवजी मंदिर का निर्माण कार्य चालू हैं !यानहा शनिवार ओर मंगलवार को मेला लगता हैं !
ऐसे संत महात्मा के चरणों मे सत-सत नमन